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Sunday, September 9, 2018

कहानी (kahani) - मंजिल और चौराहा | Manzil or churaha | Hindi kahani

छोटी उम्र से ही हमारे दिमाग के अन्दर मंजिल तक पहुंचने का चौराहा बना दिया जाता है ।इस चौराहे से सही रास्ता चुनना बहुत मुश्किल होता है । एक student जो अभी 10th मे पढ़ रहा है , उसके माता-पिता,  रिश्तेदारो और आसपास के लोगो द्वारा अभी से इस चौराहे पर खड़ा कर दिया जाता है ।

    
   Student जो अभी पढ़ाई मे बहुत अच्छा है । वो अपनी क्लास मे से हर बार अव्वल आता है । ऐसे मे उसके घर परिवार के लोग बहुत खुश होते है । उन्होंने अभी से यह सोचकर रख लिया कि student  को आगे चलकर science की पढ़ाई करवाई जाएगी ।   उसके रिश्तेदारो और आसपास के लोगो द्वारा भी यही सुझाव दिया जाता है । कोई उसे commerce  और कोई उसे arts करने की सलाह देता है । ऐसे मे student को सही रास्ता नही मिलता ।

   Student जिसे कहानियो और साहित्य से जुड़ी किताबे पढ़नी बहुत अच्छी लगती है । वो अक्सर ही इन्हे पढ़कर बहुत खुश होता और कहानियो मे लिखे पलों मे कहीं खो जाता । student दसवीं के इम्तिहान मे पास हो जाता है और अब वो घड़ी आ जाती है जिसमे उसे अपने माता-पिता,  रिश्तेदारो और अनय लोगों द्वारा तैयार किए गए चौराहे पर से एक रास्ता चुनना होता है ।

  Student दबाव मे आकर 11वीं मे साईंस की पढ़ाई करने  लगता है लेकिन कुछ ही दिनो बाद उसे महसूस होता है कि उसके द्वारा चुना गया रास्ता गलत है । उसके माता-पिता ने उसे coaching classes ज्वाइन करवा के उसकी इच्छा बिना जाने ही उस पर दबाव डाल के इस रस्ते पर चलने को मजबूर कर दिया । यह रास्ता उसे मंजिल के उल्ट एक अंधेरी दुनिया की तरफ ले जाता है ।

    जब 12वी के इम्तिहानो मे student के कम नम्बर आते है तो उसे और उसके माता-पिता को बहुत निराशा होती है । उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना अब नामुमकिन सा लगने लगता है। अब उसके माता-पिता और आसपास के लोगो द्वारा एक और नया चौराहा बना दिया जाता है । वो खुद रास्ता बनाने मे इस लिए असफल रहता है क्योंकि निराशा से उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है ।

     नए बनाए गए चौराहे से वो फिर से एक नया रास्ता चुन लेता है । इस बार वो डिग्री मे commerce ले लेता है। लगातार 3 साल बाद पढ़ाई करने के बाद वो एक प्राइवेट नौकरी  करने लगता है। पर वो अन्दर से बिल्कुल भी खुश नही था। इस दौरान उसके माता-पिता पिता और आसपास के लोगो द्वारा उसे बार-बार याद दिलाया जाता है कि अगर वो साईंस पढ़ लेता तो उसकी जिंदगी बन जाती ।

    Students के ऐसे हालातों का कारण उनके स्कूल भी बनते है। यहा students की नींव रटो और नकल की ईंटो से रखी जाती है । ऐसे मे जब कोई student बाहर मुकाबले के लिए जाता है तो यह नींव कमजोर दिखाई देती है ।

   Students को चाहिए कि ऐसे बनाए गए चौराहो से दूर रहे और अपने हुनर को पहचनाने की कोशिश करें। उनके द्वारा की गई सही पहचान उन्हे मंजिल तक खुद ब खुद ले जाएगी ।



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