बच्चो children को उनके अच्छे भविष्य के लिए पढ़ाई करना बहुत जरूरी होता है। सारे मां-बाप चाहते है कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर अपना उज्ज्वल भविष्य future बनाए और अच्छी नौकरी job पर लग जाए। जब बच्चा बोलने लग जाता है तब से ही उसकी पढ़ाई का ख्याल मन मे आने लग जाता है। मां-बाप बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा education देने के लिए उसे बढि़या स्कूल मे दाखिल करवाते है।
अच्छे स्कूल मे तो हर कोई बच्चे को दाखिला admission दिलवा देता है। ठीक से पढ़ना या ना पढ़ना यह बच्चो पर निर्भर करता है। सभी बच्चे पढ़ने मे होशियार intellogent नही होते। ऐसे मे मां-बाप की चिंता और बढ़ जाती है। बच्चो का पढ़ाई मे मन नही लगता। आज कल तो वैसे भी टीवी, फोन के चलते बच्चो का ध्यान भटकता रहता है। इसके अलावा और भी कारण हो सकते है। इस आर्टिकल मे हम इन्ही कारणो और बच्चो को पढ़ाई study के लिए कैसे प्रेरित किया जाए, इस बारे मे चर्चा करेंगे।
जब बच्चा छोटा होता है तो हमे तब से ही उसे पढ़ाई की तरफ आकर्षित attract करना चाहिए। इसके लिए हमे बच्चो के कमरे मे बोर्ड, पेंसिल, पैन, कलर्स आदि रख देने चाहिए। जिससे बच्चे के मन मे अपने आप आए कि उसे कुछ लिखना या बनाना है। इस के अलावा अलग अलग भाषाओ languages की वर्णमाला से सम्बंधित किताबे भी देने चाहिए। हो सके तो बच्चो को खेल के माध्यम से अधिक सिखाने की कोशिश करें। यह तो है बच्चो की बात अगर हम पांचवी 5th से लेकर बारहवीं 12th तक के बच्चो की बात करे तो इनके और कारण हो सकते है।
The reason for not taking children's mind to study?
बच्चो का पढ़ाई मे मन ना लगने का कारण?
बहुत से बच्चे ऐसे होते है वह छोटी क्लास मे तो पढ़ने मे होशियार होते है लेकिन जैसे ही वह बड़ी क्लास class मे जाते है तो उनका मन पढ़ाई मे नही लगता। इस के बहुत से कारण होते है। इन कारणो को पहचानना identify मां-बाप के लिए बहुत जरूरी होता है। तो चलिए इन कारणो के बारे मे बात करते है।
• बच्चे अक्सर घूमने फिरने मे ज्यादा ध्यान देते है। जिस कारण उनका मन पढ़ाई मे नही लगता।
• कुछ बच्चो को अधिक समय तक टीवी T.V और गाने सुनने की आदत होती है जिससे बच्चो की याददाश्त शक्ति पर असर पड़ता है।
• खेल कूद सभी बच्चो के लिए जरूरी होता है लेकिन आवश्यकता से अधिक समय तक खेलने से बच्चे अपनी पढ़ाई को टाईम time नही दे पाते, और वह पढ़ाई मे पीछे रह जाते है।
• बड़ी क्लास मे जाते ही अक्सर बच्चे गलत संगत मे फंस जाते है। वह अधिक खर्च करने, जुआ खेलने, नशा करने आदि जैसी बुरी आदतो bad habits शिकार हो जाते है। यह सब बच्चो का ध्यान पढ़ाई से भटकाता है।
• कई बच्चे ऐसे भी होते है जिन्हे मानसिक परेशानी होती है। मानसिक परेशानी से मतलब जैसे स्कूल मे ही उसे कोई तंग कर रहा होता है या स्कूल school से बाहर भी कोई बच्चे को तंग कर सकता है। ऐसे मे बच्चा अकेला alone रहने लगता। वह अपने मन की बात किसी से भी सांझी share नही करता। कई बार तो बच्चा डिप्रेशन depression शिकार हो जाता है।
यह कुछ मुख्य कारण है जिनके कारण reasons बच्चो का ध्यान पढ़ाई मे नही लगता। मां-बाप को चाहिए अगर इन मे से बच्चे के कोई भी लक्षण दिखाई दे तो बच्चो के साथ बैठकर बात करे। उनसे प्यार से कारण पूछे। धीरे-धीरे से उन्हे इन समस्याओ से बाहर निकाले।
बच्चो को अधिक टीवी देखने ना दे। अगर हो सके तो बच्चो को मोबाइल फोन से बिल्कुल दूर रखें। माता-पिता को महीने मे कम से कम एक बार बच्चो के स्कूल जाकर उनके अध्यापकों से बच्चो के बारे मे पूछना चाहिए। सब से जरूरी बात अगर बच्चा घर मे अकेला रहता है और किसी से कोई बात नही करता तो ऐसे मे बच्चे को कोई मानसिक परेशानी भी हो सकती है। ऐसे मे बच्चे को मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। तो इस प्रकार बच्चो की पढ़ाई मे आ रही कठिनाई को दूर किया जा सकता है और बच्चो को पढाई के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
अच्छे स्कूल मे तो हर कोई बच्चे को दाखिला admission दिलवा देता है। ठीक से पढ़ना या ना पढ़ना यह बच्चो पर निर्भर करता है। सभी बच्चे पढ़ने मे होशियार intellogent नही होते। ऐसे मे मां-बाप की चिंता और बढ़ जाती है। बच्चो का पढ़ाई मे मन नही लगता। आज कल तो वैसे भी टीवी, फोन के चलते बच्चो का ध्यान भटकता रहता है। इसके अलावा और भी कारण हो सकते है। इस आर्टिकल मे हम इन्ही कारणो और बच्चो को पढ़ाई study के लिए कैसे प्रेरित किया जाए, इस बारे मे चर्चा करेंगे।
जब बच्चा छोटा होता है तो हमे तब से ही उसे पढ़ाई की तरफ आकर्षित attract करना चाहिए। इसके लिए हमे बच्चो के कमरे मे बोर्ड, पेंसिल, पैन, कलर्स आदि रख देने चाहिए। जिससे बच्चे के मन मे अपने आप आए कि उसे कुछ लिखना या बनाना है। इस के अलावा अलग अलग भाषाओ languages की वर्णमाला से सम्बंधित किताबे भी देने चाहिए। हो सके तो बच्चो को खेल के माध्यम से अधिक सिखाने की कोशिश करें। यह तो है बच्चो की बात अगर हम पांचवी 5th से लेकर बारहवीं 12th तक के बच्चो की बात करे तो इनके और कारण हो सकते है।
The reason for not taking children's mind to study?
बच्चो का पढ़ाई मे मन ना लगने का कारण?
बहुत से बच्चे ऐसे होते है वह छोटी क्लास मे तो पढ़ने मे होशियार होते है लेकिन जैसे ही वह बड़ी क्लास class मे जाते है तो उनका मन पढ़ाई मे नही लगता। इस के बहुत से कारण होते है। इन कारणो को पहचानना identify मां-बाप के लिए बहुत जरूरी होता है। तो चलिए इन कारणो के बारे मे बात करते है।
• बच्चे अक्सर घूमने फिरने मे ज्यादा ध्यान देते है। जिस कारण उनका मन पढ़ाई मे नही लगता।
• कुछ बच्चो को अधिक समय तक टीवी T.V और गाने सुनने की आदत होती है जिससे बच्चो की याददाश्त शक्ति पर असर पड़ता है।
• खेल कूद सभी बच्चो के लिए जरूरी होता है लेकिन आवश्यकता से अधिक समय तक खेलने से बच्चे अपनी पढ़ाई को टाईम time नही दे पाते, और वह पढ़ाई मे पीछे रह जाते है।
• बड़ी क्लास मे जाते ही अक्सर बच्चे गलत संगत मे फंस जाते है। वह अधिक खर्च करने, जुआ खेलने, नशा करने आदि जैसी बुरी आदतो bad habits शिकार हो जाते है। यह सब बच्चो का ध्यान पढ़ाई से भटकाता है।
• कई बच्चे ऐसे भी होते है जिन्हे मानसिक परेशानी होती है। मानसिक परेशानी से मतलब जैसे स्कूल मे ही उसे कोई तंग कर रहा होता है या स्कूल school से बाहर भी कोई बच्चे को तंग कर सकता है। ऐसे मे बच्चा अकेला alone रहने लगता। वह अपने मन की बात किसी से भी सांझी share नही करता। कई बार तो बच्चा डिप्रेशन depression शिकार हो जाता है।
यह कुछ मुख्य कारण है जिनके कारण reasons बच्चो का ध्यान पढ़ाई मे नही लगता। मां-बाप को चाहिए अगर इन मे से बच्चे के कोई भी लक्षण दिखाई दे तो बच्चो के साथ बैठकर बात करे। उनसे प्यार से कारण पूछे। धीरे-धीरे से उन्हे इन समस्याओ से बाहर निकाले।
बच्चो को अधिक टीवी देखने ना दे। अगर हो सके तो बच्चो को मोबाइल फोन से बिल्कुल दूर रखें। माता-पिता को महीने मे कम से कम एक बार बच्चो के स्कूल जाकर उनके अध्यापकों से बच्चो के बारे मे पूछना चाहिए। सब से जरूरी बात अगर बच्चा घर मे अकेला रहता है और किसी से कोई बात नही करता तो ऐसे मे बच्चे को कोई मानसिक परेशानी भी हो सकती है। ऐसे मे बच्चे को मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। तो इस प्रकार बच्चो की पढ़ाई मे आ रही कठिनाई को दूर किया जा सकता है और बच्चो को पढाई के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
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