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Sunday, July 21, 2019

Berozgaro ki mehfil | बेरोजगारों की महफिल । hindi kahani



चार दोस्त हैं माया, छोटू, करण और जिंदर। चारो बेरोजगार,  लेकिन टहलने और खाने पीने के पके शौकीन । जेब खाली है, लेकिन दिल और दिमाग शौकीनी से भरे हैं। स्वभाव मे अमीर घरानो वाले दिखावे। अक्सर, सभी चारों एक-दूसरे को देखते रहते कि कौन खिलाएगा। एक दिन, माया ने सभी को  रेस्तरां में ले जाने की सलाह दी। रेस्तरां काफी महंगा था। इस बारे में सभी को पता था, लेकिन ठाठ  दिखाने के लिए  सभी ने हां कर दी।

चारो रेस्तरां चले गए। माया, जो केवल नाम ही माया थी। उसने वेटर को चार पीजे  लाने का आदेश दिया, वेटर ने कहा कि उनके पास केवल दो पीज़े बचे हैं। चारों ने नाक चढ़ाना शुरू कर दिया लेकिन,  माया खुश थी कि दो पीजो के पैसे देने पड़ेगे। जिंदर गुस्से मे आकर बोलता है कि इस से अच्छा तो हम घर पर ही पेट भर कर खाना खा लेते।  लेकिन जिंदर भी मन ही मन मे खुश था कि कम स कम आधा आधा तो खाने को मिलेगा ही। इतने मे पीजा आ जाता है और सभी आधा आधा खाने लग जाते है।

छोटू जिसका दिल एक रुपये के सिक्के से भी छोटा है। वह खाना शुरू करता है और सोचने लगता है कि उसके पास केवल 100 रुपये हैं, अगर माया ने उसे बिल का भुगतान करने के लिए कहा तो उसकी  बेइज्जती हो जाएगी। करन तो पूरे मजे मे पीजा खाने लगा हुआ था। सभी को पता है कि करन के पास ज्यादा से ज्यादा 30 40 रूपए होंगे।


पिज्जा खाने के बाद चारों एक-दूसरे का मुंह देखते हैं, फिर फिर बिल देने के लिए पैसो का अपना अपना हिस्सा देकर रेस्तरां से बाहर आ जाते है। चारो के चेहरों से बाहर आने के लिए बिल देने बैचेनी कम हो जाती है और सभी ने कहा कि आज खाने में बहुत मजा आया।


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