एक दिन अचानक मेरे चाचा के लड़के का फोन आया कि बहुत जरूरी काम से उसे उत्तराखंड जाना है। एक सैकिंड के लिए पंजाब से उत्तराखंड की लंबी दूरी का ख्याल आया, उन दिनों मेरी पढ़ाई खत्म हो चुकी थी और मेरे पास भी फ्री समय था, तो मैंने चाचा के लड़के को उत्तराखंड जाने के लिए हां कर दी ।
हम दोनो ट्रेन से उत्तराखंड की तरफ चल दिए । मैंने अपनी जिंदगी मे इतना लम्बा सफर पहली बार किया । रास्ते मे दिलकश नजारे देखते हुए मन रोमांचित हो उठता ।
तकरीबन 8 घंटे बाद हम लोग उत्तराखंड रामनगर पहुंच गए । शाम का समय था जब हम ट्रेन से उतरे तो भाई ( चाचा का लड़का ) के मामा जी अपने अपने पूरे परिवार के साथ स्टेशन पर लेने आ गए । उनके चेहरो पर मुस्कान देखकर मन और भी खुश हो गया ।
जब हम घर पहुंचे तो मैंने देखा कि उनका छोटा सा घर पक्का तो है लेकिन अभी घर का बहुत सा काम होना बाकी था । मैनें मामा जी की तरफ देखा और कहा कि "आप ने घर बहुत अच्छा बनाया है"।
मामा जी बोले " बेटा, मैंने सीमेंट का पलसतर और रंग भी करवा देना था पर इतने पैसे नही बचे थे।", "अब जब बाद मैं हाथ मैं पैसे आएगे और सही समय आने पर सारा काम करवा दूंगा ।"
मैं मन ही मन मे सोचने लगा कि कही मामा जी को बुरा तो नही लगा, वह ये तो नही सोच रहे कि मैंने मजाक मे ऐसा कह दिया । अगले दिन सुबह हम सब नाश्ते पर इकट्ठा हुए ।
मैंने मामा जी से पूछा कि आप करते क्या काम हो । उन्होंने बताया कि "मैं एक पलंबर हू।" उनकी बाते बहुत ही सुलझी हुई थी । उनकी तीन लडकियां थी और एक लड़का। लडका तो शहर से बाहर काम करता था और तीनो लडकियां अभी पढ़ाई कर रही थी ।
मैंने अपने भाई से पूछा कि वो मुझे यहा किस काम के लिए लाया है । उसने बताया यहा पर उसे किसी से पैसे लेने है और उसने कहा कि अभी हम 4 5 दिन यही है । हमने नैनीताल घूमने भी जाना है । यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा । गर्मी के दिन थे, हम सभी सारा दिन घर पर बैठे बातें करते रहे । मामा जी के सारे परिवार मे उनकी बातों असर साफ दिखाई दे रहा था । उनकी बड़ी लड़की ने कहा, वो भी पार्ट टाईम काम पे जाती है पर अभी उसकी बी ए की परीक्षा आ जाएगी तो वो नही जा रही।
सारे परिवार मे ऐसा कोई दुख नही था कि उनका घर छोटा है, उनकी आमदनी कम है। हमेशा चेहरे से खुशी
झलकती । सारा परिवार एक निश्चित दिनचर्या के अनुसार काम करता और समय का पूरा फायदा उठाता। शाम हुई तो मामा जी काम से लौट कर घर आए। वह बहुत थक चुके थे लेकिन कुछ समय आराम करने के बाद फिर से चले गए । मैंने मामी से पूछा के अब यह कहा चले गए है। मामी ने कहा, इन्होंने एक और घर का काम पकड़ रखा है। मैं यह सुनकर हैरान रह गया और मन मे सोचा कि ऐसा तो कोई द्रढ़ निश्चय वाला आदमी ही कर सकता है ।
अगले दिन हम नैनीताल घूमने चले गए। सुन्दर पहाड़ो से घेरा हुआ ताल, बहुत ही मनमोहक दृश्य पेश कर रहा था। हमने वहां पूरा दिन बिताया और शाम को घर वापस आ गए । दूसरे दिन हमे पंजाब वापस आना था, घर आकर हमने अपना बैग पैक करना शुरू कर दिया। अगले दिन हम ट्रेन से पंजाब की तरफ चल दिए । रास्ते मे मन मे फिर से विचार चलने लगे कि मामा जी इतनी मेहनत करते है पता नही घर का बाकी काम पूरा कर पाएंगे या नही ।
इस बात को दो साल बीत चुके थे । मेरे चाचा के लड़की की शादी थी तो मामा जी भी वहां पर आए हुए थे । मैंने उनसे मिला और बात करने लगा , इतने मे उन्होंने जेब से फोन निकाला और घर की फोटो दिखाने लगे । फोटो दिखाते हुए उनके चेहरे पर खुशी साफ साफ दिख रही थी। फोटो दिखाने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि " समय का अगर सही इस्तेमाल किया जाए और कड़ी मेहनत की जाए तो सब काम मुमकिन है।"
हम दोनो ट्रेन से उत्तराखंड की तरफ चल दिए । मैंने अपनी जिंदगी मे इतना लम्बा सफर पहली बार किया । रास्ते मे दिलकश नजारे देखते हुए मन रोमांचित हो उठता ।
तकरीबन 8 घंटे बाद हम लोग उत्तराखंड रामनगर पहुंच गए । शाम का समय था जब हम ट्रेन से उतरे तो भाई ( चाचा का लड़का ) के मामा जी अपने अपने पूरे परिवार के साथ स्टेशन पर लेने आ गए । उनके चेहरो पर मुस्कान देखकर मन और भी खुश हो गया ।
जब हम घर पहुंचे तो मैंने देखा कि उनका छोटा सा घर पक्का तो है लेकिन अभी घर का बहुत सा काम होना बाकी था । मैनें मामा जी की तरफ देखा और कहा कि "आप ने घर बहुत अच्छा बनाया है"।
मामा जी बोले " बेटा, मैंने सीमेंट का पलसतर और रंग भी करवा देना था पर इतने पैसे नही बचे थे।", "अब जब बाद मैं हाथ मैं पैसे आएगे और सही समय आने पर सारा काम करवा दूंगा ।"
मैं मन ही मन मे सोचने लगा कि कही मामा जी को बुरा तो नही लगा, वह ये तो नही सोच रहे कि मैंने मजाक मे ऐसा कह दिया । अगले दिन सुबह हम सब नाश्ते पर इकट्ठा हुए ।
मैंने मामा जी से पूछा कि आप करते क्या काम हो । उन्होंने बताया कि "मैं एक पलंबर हू।" उनकी बाते बहुत ही सुलझी हुई थी । उनकी तीन लडकियां थी और एक लड़का। लडका तो शहर से बाहर काम करता था और तीनो लडकियां अभी पढ़ाई कर रही थी ।
मैंने अपने भाई से पूछा कि वो मुझे यहा किस काम के लिए लाया है । उसने बताया यहा पर उसे किसी से पैसे लेने है और उसने कहा कि अभी हम 4 5 दिन यही है । हमने नैनीताल घूमने भी जाना है । यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा । गर्मी के दिन थे, हम सभी सारा दिन घर पर बैठे बातें करते रहे । मामा जी के सारे परिवार मे उनकी बातों असर साफ दिखाई दे रहा था । उनकी बड़ी लड़की ने कहा, वो भी पार्ट टाईम काम पे जाती है पर अभी उसकी बी ए की परीक्षा आ जाएगी तो वो नही जा रही।
सारे परिवार मे ऐसा कोई दुख नही था कि उनका घर छोटा है, उनकी आमदनी कम है। हमेशा चेहरे से खुशी
झलकती । सारा परिवार एक निश्चित दिनचर्या के अनुसार काम करता और समय का पूरा फायदा उठाता। शाम हुई तो मामा जी काम से लौट कर घर आए। वह बहुत थक चुके थे लेकिन कुछ समय आराम करने के बाद फिर से चले गए । मैंने मामी से पूछा के अब यह कहा चले गए है। मामी ने कहा, इन्होंने एक और घर का काम पकड़ रखा है। मैं यह सुनकर हैरान रह गया और मन मे सोचा कि ऐसा तो कोई द्रढ़ निश्चय वाला आदमी ही कर सकता है ।
अगले दिन हम नैनीताल घूमने चले गए। सुन्दर पहाड़ो से घेरा हुआ ताल, बहुत ही मनमोहक दृश्य पेश कर रहा था। हमने वहां पूरा दिन बिताया और शाम को घर वापस आ गए । दूसरे दिन हमे पंजाब वापस आना था, घर आकर हमने अपना बैग पैक करना शुरू कर दिया। अगले दिन हम ट्रेन से पंजाब की तरफ चल दिए । रास्ते मे मन मे फिर से विचार चलने लगे कि मामा जी इतनी मेहनत करते है पता नही घर का बाकी काम पूरा कर पाएंगे या नही ।
इस बात को दो साल बीत चुके थे । मेरे चाचा के लड़की की शादी थी तो मामा जी भी वहां पर आए हुए थे । मैंने उनसे मिला और बात करने लगा , इतने मे उन्होंने जेब से फोन निकाला और घर की फोटो दिखाने लगे । फोटो दिखाते हुए उनके चेहरे पर खुशी साफ साफ दिख रही थी। फोटो दिखाने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि " समय का अगर सही इस्तेमाल किया जाए और कड़ी मेहनत की जाए तो सब काम मुमकिन है।"
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