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Monday, July 30, 2018

कहानी (kahani) - वातावरण का दुश्मन - प्रदूषण | vatavarn ka dushman - pardushan

जब इंसानी शरीर को बिमारी लगती है और उसका इलाज समय पर ना हो, वो ला-ईलाज  बन जाती है । कुछ ऐसे ही दौर से हमारी धरती का वातावरण गुजर रहा है । जिसे प्रदूषण नाम की भयानक बिमारी लग चुकी है, अगर इसको समय रहते ठीक ना किया गया तो यह भी ला ईलाज बन जाएगी ।

       

              इंसान की लापरवाही के कारण आज धरती के अंगो हवा, पानी, मिट्टी को प्रदूषण की बिमारी हो चुकी है । जंगलो की कटाई ने बारिश चक्कर को ऐसे प्रभावित किया है जैसे बिमार शरीर मे खून का दौरा प्रभावित होता है । हरे भरे जंगलो की जगह सीमेंट के जंगलो ने ले ली है । फैक्ट्रियों 
मे से निकला जहर नदियों मे मिल रहा है और ये जहर पीने वाले पानी और मछलीओं के लिए बहुत हानिकारक है ।
                         कहानी - शम उम्मीद की

        कारो, मोटरसाइकिलो और फैक्ट्रियों मे से निकला धुंआ हवा प्रदूषण करता है और धरती के दम को ऐसे दबा रहा है जैसे अजगर अपने लपेटे मे लिए हुए शिकार का दम दबाता है । यह सब इंसान की हद से ज्यादा जरूरतो के कारण हो रहा है । जंगलो की कटाई और कुदरत के साथ छेड़खानी ने धरती की शारीरिक बनावट को बिगाड़ के रख दिया है ।
         
        आज ऐ सी, कारो, रेफ्रिजरेटरो का उपयोग बढ़  गया और इन मे से निकल रही जहरीली गैसें इंसान और जानवरो के साथ साथ धरती की चमड़ी को भी कैंसर का रोग दे रही है । इन गैंसो ने धरती के तापमान को बढ़ा दिया है जो ग्लेशियरो को पिघला रहा है।

      आज ऐसे हालात बन चुके है कि पीने वाला पानी भी पैसो से खरीदा जा रहा है । जिस जगह पर पानी ज्यादा है वहाँ बड़ी लापरवाही के साथ इसकी बरबादी की जा रही है।
पानी का स्तर खतरे के निशान तक कम हो चुका है। वो दिन दूर नही जब धरती के कुछ हिस्से रेगिस्तान मे बदल जाएगे ।

अगर जल्दी ही इसका इलाज ना किया गया तो इसके बुरे नतीजे हमारी आने वाली पीढ़ी को भुगतने पड़ सकते है ।इंसान को आज अपनी बढ़ती जरूरतो पर पाबंदी लगाने की जरूरत है । इसके लिए उसे कुछ जरूरी कदम उठाने पडे़गे।
वृक्षो की कटाई पर रोक लगा के और नए वृक्ष लगा के और पानी को बचा के हम इस धरती को बिमार होने से बचा सकते है ।

                                                रशपाल सिंह 

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