आज के टाईम मे समाज पर अगर किसी चीज का सबसे ज्यादा असर होता है तो वह है टेलीविजन । टेलीविजन के विकास के साथ साथ इसे देखने का नजरिया भी बदल चुका है । टेलीविजन अब एक मनोरंजन का साधन ही नही बल्कि समाज की बनावट तय करने वाला साधन बन चुका है । टेलीविजन ने अपने इस विकास के सफर मे अनेको तबदीलीयाँ देखी और विज्ञान के इस युग मे अभी भी बहुत तेजी से टेलीविजन अपनी रूप रेखा को बदल रहा है ।
20वीं सदी मे शुरू हुआ टेलीविजन का सफर अब 21वीं सदी के आधुनिक युग मे पहुंच चुका है । पहले टेलीविजन सैट मे सी आर टी का उपयोग किया जाता था । और इसकी बाहर की बाॅडी लकड़ी की होती थी । इसके साथ एक एंटीना भी होता था जिसे सैट कर के लोकल रेंज के चैनल देखे जा सकते थे । यह टेलीविजन ब्लैक एंड व्हाइट होते थे।
पहले टेलीविजन पर सिर्फ कुछ गिने-चुने ही प्रोग्राम आते थे । इसके बाद धीरे-धीरे कलर्ड टेलीविजन आने लगे , इसके साथ ही इस पर आने वाले चैनल की संख्या भी बढ़ गई। 90 के दशक के आते आते टेलीविजन के साथ रिमोट का प्रचलन बढ़ गया। टेलीविजनों की बिक्री मे भी बढ़ोतरी होने लगी । टेलीविजन अब आम लोगो की पहुंच से दूर नही रह गया था।
टेलीविजन की बिक्री मे बढ़ोतरी के पीछे का कारण एक तो इसकी कीमत और दूसरा चैनलो की होड थी जिस मे तरह तरह के मनोरंजक सीरियल दिखाने शुरू कर दिए थे । अब घरों मे लोग अपना फ्री टाइम टेलीविजन देखकर ही गुजारने लगे थे । न्यूज चैनलो की भरमार हो गई थी । दुनिया के कोने-कोने से खबरे अब घर बैठे टेलीविजन पर दखी जा सकती थी ।
एंटीना की जगह केबल तारो ने ले ली। कुछ पैसे चुकाकर लोग अनेको चैनल टेलीविजन पर देखने लगे । केबल का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ के एंटीना को बार-बार सैट करने के झंझट से छुटकारा मिल गया।
जैसे जैसे टैक्नोलॉजी मे बदलाव आया सी आर टी टेलीविजन की जगह ऐल सी डी ने ले ली । इस प्रकार के टेलीविजन महंगे जरूर थे लेकिन यह बिजली की बहुत ज्यादा बचत करते थे और आँखो के लिए भी कम नुकसानदायक थे। अब एल सी डी की जगह एल ई डी ने ले ली है । यह ऐल सी डी से भी कम बिजली की खपत करती है । इन दोनो प्रकार के टेलीविजन का आकार भी बड़ा होता है ।
केबल की जगह डी टी एच आ गए है । जो डिजीटल टैक्नोलॉजी से चैनलो को एच डी दिखाने का काम करते है।
इस प्रकार टेलीविजन का विकास होते आ रहा है और 20वीं सदी से लेकर अब तक टेलीविजन देखने के ढंगो मे की तरह के बदलाव आए।
20वीं सदी मे शुरू हुआ टेलीविजन का सफर अब 21वीं सदी के आधुनिक युग मे पहुंच चुका है । पहले टेलीविजन सैट मे सी आर टी का उपयोग किया जाता था । और इसकी बाहर की बाॅडी लकड़ी की होती थी । इसके साथ एक एंटीना भी होता था जिसे सैट कर के लोकल रेंज के चैनल देखे जा सकते थे । यह टेलीविजन ब्लैक एंड व्हाइट होते थे।
पहले टेलीविजन पर सिर्फ कुछ गिने-चुने ही प्रोग्राम आते थे । इसके बाद धीरे-धीरे कलर्ड टेलीविजन आने लगे , इसके साथ ही इस पर आने वाले चैनल की संख्या भी बढ़ गई। 90 के दशक के आते आते टेलीविजन के साथ रिमोट का प्रचलन बढ़ गया। टेलीविजनों की बिक्री मे भी बढ़ोतरी होने लगी । टेलीविजन अब आम लोगो की पहुंच से दूर नही रह गया था।
टेलीविजन की बिक्री मे बढ़ोतरी के पीछे का कारण एक तो इसकी कीमत और दूसरा चैनलो की होड थी जिस मे तरह तरह के मनोरंजक सीरियल दिखाने शुरू कर दिए थे । अब घरों मे लोग अपना फ्री टाइम टेलीविजन देखकर ही गुजारने लगे थे । न्यूज चैनलो की भरमार हो गई थी । दुनिया के कोने-कोने से खबरे अब घर बैठे टेलीविजन पर दखी जा सकती थी ।
एंटीना की जगह केबल तारो ने ले ली। कुछ पैसे चुकाकर लोग अनेको चैनल टेलीविजन पर देखने लगे । केबल का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ के एंटीना को बार-बार सैट करने के झंझट से छुटकारा मिल गया।
जैसे जैसे टैक्नोलॉजी मे बदलाव आया सी आर टी टेलीविजन की जगह ऐल सी डी ने ले ली । इस प्रकार के टेलीविजन महंगे जरूर थे लेकिन यह बिजली की बहुत ज्यादा बचत करते थे और आँखो के लिए भी कम नुकसानदायक थे। अब एल सी डी की जगह एल ई डी ने ले ली है । यह ऐल सी डी से भी कम बिजली की खपत करती है । इन दोनो प्रकार के टेलीविजन का आकार भी बड़ा होता है ।
केबल की जगह डी टी एच आ गए है । जो डिजीटल टैक्नोलॉजी से चैनलो को एच डी दिखाने का काम करते है।
इस प्रकार टेलीविजन का विकास होते आ रहा है और 20वीं सदी से लेकर अब तक टेलीविजन देखने के ढंगो मे की तरह के बदलाव आए।
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