खुले असमान की छत और हवाओं की ये दीवारे इंसानो को रास नही आई, तो उसने लालच की दीवारो के ऊपर घमंड की छत डाल कर रहना शुरू कर दिया । पर उसका अपना ही खून इस झूठे आशियाने के टुकड़े टुकड़े करता रहा। इसी परंपरा को सच करती यह दो भाईयों की कहानी है ।
सुनील और मुनीश दो भाई है जो अपनी अपनी पत्नी और बच्चो के साथ रहते है । इन भाइयों का बाप जो अपने भाई से अपने हिस्से की जमीन लेकर अलग हुआ, उस पर बड़ी मेहनत से एक छोटा सा घर बनाता है । वो अपने आप को इस छोटे से घर का राजा और अपने दोनो बेटो को राजकुमार समझता है ।
एक दिन मुनीश अपने दोस्तो के बीच खड़ा बाते कर रहा होता है । उसका दोस्त उसे कहता है कि तेरा बाप सुनील के बच्चो से बहुत प्यार करता है, क्या वो बंटवारे के टाईम घर का ज्यादा हिस्सा उन्हें देगा। बाद मे उसका दोस्त यह कहकर बात टाल देता है कि उसने यह बात हँसी मजाक
मे कही है। पर कभी कभी बाहर वालो का मजाक इंसान के अंदर चिंता पैदा कर देता है । मुनीश भी इसी चिंता को अपने साथ घर ले जाता है ।
मुनीश रात को अचानक ही यह बात अपनी पत्नी को बता बैठता है। अब उसकी पत्नी के मन मे भी अपने हिस्से को लेकर चिंता होने लगती है जिस के बारे मे उसने कभी सोचा ही नही । सुबह जब दोनो काम कर रही होती है मुनीश की पत्नी सुनील की पत्नी को यह बात बता कर अपने मन को हल्का करना चाहती है । वो सुनील की पत्नी को कहती है कि वो अपने घर मे इस से अच्छी रसोई बनाएगी। अब सुनील की पत्नी बात समझ जाती है ।
अब सुनील की पत्नी भी अपने हिस्से को लेकर चिंता से घिर जाती है । अब दोनो भाईयो और उनकी पत्नियो के बीच इसी को लेकर कहा सुनी लगी रहती । दोनो अलग अलग रहने की बात करने लगे। तंग आकर बाप ने घर के दो हिस्से कर दिए और बीच मे दीवार कर दी। अब उसे अपना टाईम याद आ रहा था जैसे उसके भाई और उसने किया था। वैसा ही उसके साथ हो रहा है ।
दोनो भाई अलग अलग रहने लगते है। दोनो बहुत ही खुश थे। एक दिन जब मुनीश के दोनो छोटे बेटे खेल रहे थे । तो खेल खेल मे उसके एक बेटे ने बोला कि वो भी बढ़ा होकर अपना एक घर बनाएगा । बंटवारे की दीवार की तरफ इशारा करते हुए कहता है कि वो इस से भी बड़ी दीवार बनाएगा । सुनील की पत्नी यह बात सुन के हैरान रह गई और उसे अपना भविष्य दिखाई देने लगा । जैसा उन्होंने किया वैसा ही उनके साथ होने वाला है उसे पता लग चुका था ।
कभी भी बाहर वालो की बातो मे आकर अपना नुकसान नही करना चाहिए । यह कहानी से यह भी सीख मिलती है कि जैसा करोगे वैसा ही भरोगे।
सुनील और मुनीश दो भाई है जो अपनी अपनी पत्नी और बच्चो के साथ रहते है । इन भाइयों का बाप जो अपने भाई से अपने हिस्से की जमीन लेकर अलग हुआ, उस पर बड़ी मेहनत से एक छोटा सा घर बनाता है । वो अपने आप को इस छोटे से घर का राजा और अपने दोनो बेटो को राजकुमार समझता है ।
एक दिन मुनीश अपने दोस्तो के बीच खड़ा बाते कर रहा होता है । उसका दोस्त उसे कहता है कि तेरा बाप सुनील के बच्चो से बहुत प्यार करता है, क्या वो बंटवारे के टाईम घर का ज्यादा हिस्सा उन्हें देगा। बाद मे उसका दोस्त यह कहकर बात टाल देता है कि उसने यह बात हँसी मजाक
मे कही है। पर कभी कभी बाहर वालो का मजाक इंसान के अंदर चिंता पैदा कर देता है । मुनीश भी इसी चिंता को अपने साथ घर ले जाता है ।
मुनीश रात को अचानक ही यह बात अपनी पत्नी को बता बैठता है। अब उसकी पत्नी के मन मे भी अपने हिस्से को लेकर चिंता होने लगती है जिस के बारे मे उसने कभी सोचा ही नही । सुबह जब दोनो काम कर रही होती है मुनीश की पत्नी सुनील की पत्नी को यह बात बता कर अपने मन को हल्का करना चाहती है । वो सुनील की पत्नी को कहती है कि वो अपने घर मे इस से अच्छी रसोई बनाएगी। अब सुनील की पत्नी बात समझ जाती है ।
अब सुनील की पत्नी भी अपने हिस्से को लेकर चिंता से घिर जाती है । अब दोनो भाईयो और उनकी पत्नियो के बीच इसी को लेकर कहा सुनी लगी रहती । दोनो अलग अलग रहने की बात करने लगे। तंग आकर बाप ने घर के दो हिस्से कर दिए और बीच मे दीवार कर दी। अब उसे अपना टाईम याद आ रहा था जैसे उसके भाई और उसने किया था। वैसा ही उसके साथ हो रहा है ।
दोनो भाई अलग अलग रहने लगते है। दोनो बहुत ही खुश थे। एक दिन जब मुनीश के दोनो छोटे बेटे खेल रहे थे । तो खेल खेल मे उसके एक बेटे ने बोला कि वो भी बढ़ा होकर अपना एक घर बनाएगा । बंटवारे की दीवार की तरफ इशारा करते हुए कहता है कि वो इस से भी बड़ी दीवार बनाएगा । सुनील की पत्नी यह बात सुन के हैरान रह गई और उसे अपना भविष्य दिखाई देने लगा । जैसा उन्होंने किया वैसा ही उनके साथ होने वाला है उसे पता लग चुका था ।
कभी भी बाहर वालो की बातो मे आकर अपना नुकसान नही करना चाहिए । यह कहानी से यह भी सीख मिलती है कि जैसा करोगे वैसा ही भरोगे।