जब हमारे आसपास नकारात्मकता फैल जाए, तो हमे सही लिया गया निर्णय भी गलत लगने लगता है। सारी परिस्थितियां हमारे खिलाफ जाती हुई दिखाई देती है। हमारा आत्मविश्वास टूट जाता है और हम असफलता की तरफ बढ़ते चले जाते है। लेकिन, अगर कोई हमें आशा की किरण दिखाए और हमें बोले कि तुम यह कर सकते हो तो हमारे अंदर एक सकारात्मक शक्ति का संचार होने लगता है। इस शक्ति से हमारे लिए गए निर्णय बिल्कुल सही लगते है और इनका परिणाम भी हमेशा अच्छा निकलता है।
जोन एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाला लड़का है। उसकी उम्र 26 साल है। उसे अपनी पढ़ाई किए हुए 3 साल गुजर गए है। वह एक अच्छा और होशियार लड़का है पर उसके अंदर आत्मविश्वास की बहुत कमी है। वह कोई भी निर्णय लेने से बहुत डरता है। इसी कारण वो घर पर बैठा रहा। उसका शारीरिक वजन 98 किलोग्राम हो गया था। उसके लिए अब चलना फिरना भी कठिन हो गया था।
एक दिन उसके पिता जी अखबार पढ़ रहे थे। अखबार मे पुलिस विभाग की तरफ से नई भर्ती का विज्ञापन दिया गया था। उन्होंने जोन का भी फार्म भर दिया। अब जोन तो इस बात से असहमत था। लेकिन पिता जी के दबाव मे उस ने पुलिस की भर्ती के लिए अभ्यास शुरु करने का निर्णय लिया। भर्ती मे सफल होने के लिए 1000 मीटर की दौड़ केवल चार मिनट मे करनी थी। यह जोन को बिल्कुल नामुमकिन सा लग रहा था।
जब जान पहली बार अभ्यास करने गया तो वो बिल्कुल अकेला था। उसने पहले दिन 10 मिनट मे दौड़ पूरी की। ऐसे ही वो चार दिन तक जाता रहा। उसके समय मे कोई फर्क नही पड़ा। एक दिन जान निराश होकर मैदान मे पड़ा रहा। अचानक उसका एक पुराना मित्र भी वहा पर आ गया। उसने अपने मित्र को सारी बात बताई । उसके मित्र ने उससे कहा कि वह घबराए नही। उसने जान से बोला कि वह दौड़ पूरी कर लेगा।
अगले दिन जब जान ने अपने मित्र को घड़ी पकड़ा दी और खुद दौड़ने लगा। जब दौड़ पूरी हुई तो उसके मित्र ने जान से कहा कि तुमने 6 मिनट मे दौड़ लगा ली है। यह सुनकर जान बहुत खुश हुआ। अब उसके अंदर एक सकारात्मक सोच आ गई। वह सोचने लगा कि वह भी दौड़ सकता है। कुछ दिनो बाद जान के मित्र ने उसे कहा कि वह 4 मिनट मे दौड़ पूरी कर लेता है। अब वह भर्ती के लिए बिल्कुल तैयार है।
भर्ती वाले दिन जान ने पूरे 4 मिनट मे ही दौड़ पूरी की और वह सफल हो गया। जान बहुत खुश था। अगले दिन उसने यह बात अपने मित्र को बताई। उसके मित्र ने उसको बधाई दी। उसने जान से कहा कि उसने जान से झूठ बोला थाकि वह 4 मिनट मे दौड़ पूरी कर लेता है। असल मे वह 6 मिनट मे ही दौड़ पूरी करता था। यह बात सुनकर जान हैरान रह गया। उसके मित्र ने जान से कहा कि यह उसके अंदर आई सकारात्मक सोच का ही नतीजा है जो आज वह सफल हो गया।
जोन एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाला लड़का है। उसकी उम्र 26 साल है। उसे अपनी पढ़ाई किए हुए 3 साल गुजर गए है। वह एक अच्छा और होशियार लड़का है पर उसके अंदर आत्मविश्वास की बहुत कमी है। वह कोई भी निर्णय लेने से बहुत डरता है। इसी कारण वो घर पर बैठा रहा। उसका शारीरिक वजन 98 किलोग्राम हो गया था। उसके लिए अब चलना फिरना भी कठिन हो गया था।
एक दिन उसके पिता जी अखबार पढ़ रहे थे। अखबार मे पुलिस विभाग की तरफ से नई भर्ती का विज्ञापन दिया गया था। उन्होंने जोन का भी फार्म भर दिया। अब जोन तो इस बात से असहमत था। लेकिन पिता जी के दबाव मे उस ने पुलिस की भर्ती के लिए अभ्यास शुरु करने का निर्णय लिया। भर्ती मे सफल होने के लिए 1000 मीटर की दौड़ केवल चार मिनट मे करनी थी। यह जोन को बिल्कुल नामुमकिन सा लग रहा था।
जब जान पहली बार अभ्यास करने गया तो वो बिल्कुल अकेला था। उसने पहले दिन 10 मिनट मे दौड़ पूरी की। ऐसे ही वो चार दिन तक जाता रहा। उसके समय मे कोई फर्क नही पड़ा। एक दिन जान निराश होकर मैदान मे पड़ा रहा। अचानक उसका एक पुराना मित्र भी वहा पर आ गया। उसने अपने मित्र को सारी बात बताई । उसके मित्र ने उससे कहा कि वह घबराए नही। उसने जान से बोला कि वह दौड़ पूरी कर लेगा।
अगले दिन जब जान ने अपने मित्र को घड़ी पकड़ा दी और खुद दौड़ने लगा। जब दौड़ पूरी हुई तो उसके मित्र ने जान से कहा कि तुमने 6 मिनट मे दौड़ लगा ली है। यह सुनकर जान बहुत खुश हुआ। अब उसके अंदर एक सकारात्मक सोच आ गई। वह सोचने लगा कि वह भी दौड़ सकता है। कुछ दिनो बाद जान के मित्र ने उसे कहा कि वह 4 मिनट मे दौड़ पूरी कर लेता है। अब वह भर्ती के लिए बिल्कुल तैयार है।
भर्ती वाले दिन जान ने पूरे 4 मिनट मे ही दौड़ पूरी की और वह सफल हो गया। जान बहुत खुश था। अगले दिन उसने यह बात अपने मित्र को बताई। उसके मित्र ने उसको बधाई दी। उसने जान से कहा कि उसने जान से झूठ बोला थाकि वह 4 मिनट मे दौड़ पूरी कर लेता है। असल मे वह 6 मिनट मे ही दौड़ पूरी करता था। यह बात सुनकर जान हैरान रह गया। उसके मित्र ने जान से कहा कि यह उसके अंदर आई सकारात्मक सोच का ही नतीजा है जो आज वह सफल हो गया।
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