क्या क्या कसूर बताऊं अपना, गर्म हवाएं इश्क की मुझे भी लगी है।
दिल तोड़ा है मैनें उस खुदा जैसी का,
और जिस हाल मे आज मैं हू.......
जरूर बद्दुआऐ उसी की लगी है।
बेपनाह करती थी प्यार वो मुझसे, उसे लगा कि जिंदगी संवरने लगी है ।
तोड़ा है मैंने उसका हर एक सपना,
और जिस तरह मेरे सांसे रूकने लगी है।
जरूर बद्दुआऐ उसी की लगी है।
करती थी वफा वो मुझसे, लेकिन मैंने उसकी वफाएं
ठगी है।
धोखा किया है खुद अपनी जिंदगी से
और जिस तरह मेरी जिंदगी थमने लगी है।
जरूर बद्दुआऐ उसी की लगी है।
जैसे लड़ा करती थी वो मेरे लिए जमाने से
अब उसकी यादें मेरी तन्हाई से लड़ने लगी है।
जिस राह पर करती थी वो इंतजार मेरा
अब वो राह भी मुझे बेशरम समझने लगी है
जरूर बद्दुआऐ उसी की लगी है।
Wrriten by - Rashpal Singh
दूर हो जाए, चाहे बात भी ना हो
मामूली सी बात पर टूट जाए,
ऐसा दोस्ती का रिश्ता ना हो
Wrriten by - Rashpal Singh
याद है वो दिन ,
जब तेरे पास खड़ा था लाईब्रेरी मे
बहाना बना के किताब का...
तू तो ना मिली,
पर इतनी कशिश थी उस किताब मे
मैं आशिक हो गया उस किताब का....
Written by - Rashpal Singh
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