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Friday, July 17, 2020

मेहनत | Mehnat | shayari | Best Motivational shayari

कहीं तो मेहनत से बोए हुए, 
खेतो के खेत डूब जाते है ।

और कहीं जमीन jameen पर यूं ही
बिखरे हुए बीज भी उग आते है।

कई तो सात जन्मों की कसमें खा के भी
अधूरे रह जाते है।
और कई तो दूर दूर रहकर भी पूरे हो जाते है।

कई ऐसे समझदार है यहां
 जिन्हे बोल बोल कर समझाना पड़ता है।
और कई ऐसे ना समझ भी है यहां
जो इशारो isharo इशारो मे ही समझ जाते है ।

कई तो है किस्मत की रहम पर यहां
और कई तो किस्मत kismat को चुनौती दे आते है।
कई तो सिर्फ चांद सितारो की बाते ही करते है
जो करते है कर्म वो खुद ही चांद पर कदम रख आते है।

कहीं तो इतनी बारिश barish होती है यहां,
कि सपनो के घर बह जाते है।
और जो करते है दुआ दिन रात
एक पानी बूंद के लिए,
वहां तो काले बादल भी ऊपर से ही होकर गुजर जाते है



इश्क | Ishaq | shayari | best Motivational shayari


कायनात का सबसे उम्दा एहसास है
आपके अंदर इश्क  का पैदा हो जाना।
पर बातों पर इसकी बुनियाद नही टिकती 
सबसे मुश्किल है इसको निभाना ।

इश्क तो काम से भी होता है
इश्क ishaq तो इंसान से भी होता है
पर सबसे खतरनाक पहलू है
इसे पाने के लिए गलत राह पर चले जाना

आपके इर्द-गिर्द कुछ नही बदलेगा 
जब तक खुद को अंदर से नही बदलते 
अच्छाई का राज तब तक नही आएगा जब तक 
आप भीतर छुपी  बुराई के खिलाफ बगावत नही करते ।
अच्छे व्यक्तित्व की निशानी nishani है विचार करना 
और आपको पतन की ओर ले जाता है
आपके विचारों का सिमट कर रह जाना।

अगर बीते कल की परेशानी मे रहोगे 
तो आपका आने वाला कल भी 
आज की तरह परेशानी मे ही गुजरेगा ।
पतझड़ का शोक मनाने से अच्छा है
आने वाले मौसम की तैयारी की जाए
क्योंकि मौसम mosam का काम है समय के साथ बदल जाना।

आजाद पंछी की तरह खुले आसमान मे तभी उड़ पाऊगे
जब धरती से ही हौंसले की उड़ान भरोगे।
गुलाब के साथ कांटे, और कमल kamal तो कीचड मे ही मिलता है
ऐसे ही कष्ट तो जीवन के हर मोड पर मिलता है
इन कष्टों से लड़ने के लिए हौंसले बुलंद रखो
क्योंकि जिंदा दिलो की निशानी नही है
लड़ाई से पहले ही हार मान जाना ।



#prem

ढाई शब्द जिनमे बड़े गहराई
जब समझ गए दो दुश्मन भी इसे
इसने दोनो की दूरियां मिटाई है।



#zindagi

एक दूसरे की जिंदगी बन गए
जिंदगी के लम्हे इस तरह से थम गए
अब दिखता नही मुझे तुम्हारे बिना
कोई और आस पास भी
इस तरह तुम मेरी खुदाई बन गए ।




दुनियां में बड़ी बहन ही ऐसी होती है
जिसकी दुआएं मां जैसी होती है




ना रहम है, ना दर्द उठता है
आंखे फेरते है गरीब की हालत देखकर
मदद के लिए हाथ नही बढता अब तो
जमीर मर चुका है इंसान मे अब
ये खबर है सबको।


Tuesday, July 14, 2020

ईमानदार क्लर्क | Imandar Clerk | Kahani

आज रमेश का अपनी नौकरी पर पहला दिन था। वह अपने ही शहर के सरकारी विभाग  मे क्लर्क लग गया । उसे यह नौकरी पाने के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ा । बहुत सारे इम्तिहान पास करने के बाद और मेहनत के बाद आखिरकार रमेश सरकारी विभाग मे क्लर्क लग गया । इस नौकरी को लेकर उसके और उसके घरवालो के बहुत सारे सपने जुड़े हुए थे। रमेश ने सोच रखा था कि वह ईमानदारी से नौकरी करेगा और अपने घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करेगा । उसने सोच रखा था कि वह दफ्तर मे सबसे मिलजुल कर काम करेगा और बढि़या से बढि़या काम करने की कोशिश करेगा ।

     रमेश जब दफ्तर पहुंचा तो सबसे पहले उसने सब के साथ जान पहचान की, सभी ने एक हल्की मुस्कराहट के साथ उसका अभिवादन किया । दफ्तर के एक कर्मचारी ने रमेश को उसके बैठने का स्थान बताया और उसे काम समझाने लगा। रमेश कुर्सी पर बैठ कर बहुत खुश हुआ और उसे लगा कि जैसे  उसके सारे सपने पूरे हो गए हो। रमेश का कमरा अलग से था और उसका दरवाजा उपर से टूटा हुआ था । दफ्तर की हालत भी कुछ अच्छी नही थी। पहला दिन होने के कारण सब उसके पास आ रहे थे। उसके पास बैठकर बातें कर रहे थे।

           नीरज भी उसी दफ्तर मे काम करता था । दोपहर के समय जब रमेश अकेला बैठा काम कर रहा था तो नीरज रमेश के साथ आकर  बैठ गया । बातों ही बातों मे नीरज ने रमेश से कहा कि वह यहां बड़े ध्यान से काम करें क्योंकि यहां काम करने वाले लोग बड़े चालाक है। नीरज  के बाद दफ्तर के दो और कर्मचारी बारी बारी रमेश के पास आए उन्होंने भी रमेश से यही बात दोहराई । रमेश को यह बात बड़ी अटपटी लगी। अब रमेश को अपने दफ्तर का थोड़ा बहुत अंदाज़ा तो हो ही चुका था ।

         अगले दिन जब रमेश दफ्तर पहुंचा,  तो रमेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने उसे काम के लिए बहुत सी फाइल पकड़ा दी। रमेश यह देखकर खुश हुआ कि उसे करने के लिए काम दिया जा रहा है। वह मन मे सोचने लगा कि वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेगा। धीरे-धीरे सब अधिकारी उसे काम देने लगे। रमेश खुश भी था और असमंजस मे भी था क्योंकि हर कोई अपने हिस्से का काम भी उसे सौंप जाता । रमेश जब भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों से काम कम देने को कहता तो सब उस पर चिल्लाने लग जाते। कोई ना कोई उसे कुछ ना कुछ कह जाता कभी उसके काम करने पर टिप्पणी तो कभी रमेश के स्वभाव पर टिप्पणी । अब रमेश समझ चुका था कि जानबूझकर उसका उत्पीड़न हो रहा है।

   यहां एक तरफ पूरे दफ्तर मे एक दूसरे पर बातें और एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ लगी रहती थी। वही दूसरी तरफ लोग अपना काम जल्दी करवाने के लिए रिश्वत भी दे जाते थे। रमेश एक अकेला ही अधिकारी था जो रिश्वत नही लेता था । इसी बात से पूरा दफ्तर रमेश से चिड़ा हुआ था।
नीरज एक दिन रमेश के कमरे मे गया, और कहने लगा कि इतने ईमानदार मत बनो जानबूझकर । ईमानदारी दिखा के कुछ फायदा नही है। अगर इतने ही ईमानदार हो तो अपनी तनख्वाह से अपने कमरे और  दरवाजे को तो ठीक करवा लो। यह सब बातें रमेश को बहुत चुभ रही थी।

    हर कोई रमेश के कमरे मे आंखे दिखाता हुआ आता और कुछ ना कुछ सुना जाता । कुछ दिनो तक तो रमेश सोचता ही रहा कि अब वो क्या करें। उसने एक दो बार असतीफा देने का भी सोच लिया था । लेकिन उसे लगा अगर वो डर कर असतीफा दे देगा तो क्या गारंटी है कि जो उसे अगली नौकरी मिलेगी वहा ऐसे लोग नही होंगे । एक  दिन उसने ठान लिया कि वह भी सब से अकड़ कर बात करेगा । अब सब हैरान से हो गए थे कि रमेश को क्या हो गया है। रमेश अब सिर्फ अपने हिस्से का काम करता था। वरिष्ठ अधिकारियो ने रमेश से कह कि वह रमेश के इस रवैये के बारे मे ऊपर शिकायत करेंगे । लेकिन रमेश ने भी  फट से जबाब दिया,  वह भी तुम्हारी रिशवत खौरी को सबके सामने उजागर करेगा । इतना सुनते ही सब अधिकारी घबरा गए ।

     एक  दिन रमेश ने अपना कमरा भी ठीक करवा लिया । रमेश ने भी जानबूझकर कमरे के दरवाजे की लम्बाई छोटी करवा दी। अब डब भी कोई रमेश के कमरे मे आता तो उसे सिर झुका कर आना पड़ता । दफ्तर के सभी अधिकारी रमेश की मंशा समझ चुके थे । अब सब रमेश को उसके हिस्से का ही काम देते और फालतू मे रमेश चिल्लाते भी नही थे। और तो और रमेश के कमरे मे दरवाजा छोटा होने के कारण अधिकारी कम जाने लगे थे।

Saturday, July 11, 2020

जुलफें शायरी | julfe shayari | lyrics

ये मस्त जुलफें और निगाहें
मीठी बातें और अदाएं
सब फरेब है
वक्त रहते इन्हे पहचान लो
इश्क मे मत पड़ना
यारों मेरी बात मान लो

पल पल रहेगा इंतजार intezar
तुमको उसके दीदार का,
और  हर पल रहेगा दिल बैचेन
ये बात जान लो

उड़ेगी पतंग, तुम्हारी जिंदगी की
इनकी मर्जी से
और इनके हाथो मे पतंग की
डोर रहेगी  ।
कहा हो, क्या कर रहे हो
ये सवाल करते करते
तुम्हारी आजादी के लिए मुसीबत बन जाएगी
अगर इस मुसीबत के लिए तैयार हो तुम
इन मुसीबतों के आगे सीना तान लो

अगर ना आएगी नींद nind इन्हे
चाहेगी सारी रात तुमसे चेट करना
और कही आ गई नींद तुम्हे
इनकी नींद से पहले
तो बोलेंगी
अब नही पसन्द तुम्हे मुझसे बात करना।
अगर कर सकते हो तुम भी
सारी सारी रात बातें
तो फोन में एक बड़ा रिचार्ज डाल लो।



बदलता इंसान | Badlta Insan | Shayari lyrics

सोच तो मैली है ही तेरी
हवा भी मैली कर दी ।
अब ना पेड़ संभालेंगा तू
बिना साफ हवा
और  नियत के
अपनी नसलें कब तक पालेगा तू।

दिलों मे है कड़वाहट
सिर्फ मतलब के लिए मीठी वाणी ।
एक दिन ढूंढे भी नही मिलेगा, 
गंदा कर दिया सारा पानी।
भर दिया है जहर पानी मे
तेरी आने वाली नसलें
यही जहर  पीएंगी।
अब तू ही सोच बंदे
बिन पानी के तेरी नसलें
कैसे जिऐंगी।

इतने तो गिरगिट भी रंग नही बदलता
जितने है, तू चेहरे बदलता
सामने से कुछ ओर
पीठ के पीछे तू ओर ही चलता है
करके बेजुबानो के घर को तबाह
अपना घर ना बचा पाएगा
तेरे इन पाप कर्मो का फल
जरूर
एक दिन तेरे सामने आएगा ।



किस्मत थी नाराज, हाथ भी खाली थे
तूफान मे उड़ी छतों ने बयां कर दिया,
अंदर से घर भी खाली थे



जिंदगी में मुसीबत आने पर अगर आप डगमगा जाएं
तो डरे मत।
क्योंकि पानी मे पड़ रही सूरज की परछाई भी
पानी हिलने से डगमगा जाती है।



खुदा भी इसकी दुआएं कभी रद्द नही करता,
औलाद के लिए ही इसकी हर एक मन्नत होती है।
औलाद के लिए हर दुख हस के सह जाती है,
ऐसे ही नही कहते
कि " मां " के पैरों मे जन्नत होती है



पता नही , हो या नही मेरी तकदीर में
ठहर जाओ!
कैद कर लूं , तुम्हे तस्वीर में



बूढ़े होने से डरना मत
नसीब वाले है
जिन्हें बुढ़ापा आता है।



अगर आप अपने काम की सही कदर नही करते तो आपका काम सही नही होगा, क्योंकि अपने काम का सच्चा कदरदान इंसान खुद होता है।



मोहब्बत चीज क्या है? Mohhbat cheez kya hai?

 महबूब के दूर जाने के बाद
दिल dil मे उठती टीस क्या है
समंदर से भी गहरा राज है
मोहब्बत चीज क्या है?

कई तो मिल के भी अधूरे है
कई दूर दूर रहकर भी पूरे है
पता है लहरों को बिखर जाएंगी
फिर किनारो से टकराने की बैचेनी क्यों है?

किस्मत kismat वालो का तो हो जाता है सफर मुकम्मल
कुछ तो हमसफ़र रास्ते मे ही खो देते है
जो मिल नही सकते दो दिल इस जहान मे
तो उस जहान मे उनकी मंजिल क्या है?

महकती तो मिट्टी भी है बारिश में
बस महसूस करना आना चाहिए
प्यार तो अंदर की सादगी से होता है
फिर बाहर चमक दमक का शोर क्यों है।

पहुंच से बहुत दूर है ये चांद
रात मे दिखता है और दिन मे आलोप
कौन सा बेदाग है चांद
फिर चांद chand को गीत, गजलों और शायरी
मे लिखने की मजबूरी क्या है।




#Ishaq

ऐ दिल इश्क तुझे है उसके साथ
पर उसे तो नही,
फिर इजहार करके क्या करना ।
जिस राह पर अपना कोई है ही नही,
उस राह के बारे मे पूछ के क्या करना।

Thursday, July 9, 2020

शाम की सैर | sham ki sair

मैं हर रोज शाम को सैर करने जाता । थोड़ी ही दूर  रास्ते के किनारे एक छोटा सा घर है जिसके सभी लोग शाम को बाहर चारपाई लगा कर बैठे रहते है । बाहर से ही देखने पर उनके घर का पता चल जाता है । उनके घर मे दो छोटे छोटे कमरे है और बाहर की तरफ थोड़ी सी खुली जगह है जिसके ऊपर छत नही है। घर का नक्शा ऐसा है कि हवा आर पार होती रहे । घर के चारो तरफ हरे भरे खेत और पेड पौधे है।

जब भी कोई सैर करने वाला उनके घर के पास से गुजरता तो उनके घर की तरफ जरूर देखता। जितने भी  लोग वहां सैर करने आते सारे आस पास के इलाके से ही सम्बंधित है ।
एक दिन उस घर के सामने उसी घर का बड़ा बुजुर्ग बैठा हुआ था । तो मैंने रूक कर उनका हाल चाल पूछ लिया । बातों ही बातो मे मैने उन से पूछा के उनका घर चलाने के लिए क्या काम करते है तो उन्होंने बताया कि हम सब मजदूरी का काम करते है। थोड़ी बहुत बात करने के बाद मे आगे की तरफ चल दिया ।

      हमारे मुहल्ले मे सभी घर तकरीबन एक जैसे ही बने हुए है। सारे मध्यम वर्गीय परिवार ही रहते है। सभी घर अंदर और बाहर से देखने मे बेहद खूबसूरत । और हो भी क्यों ना सभी ने अपनी कड़ी मेहनत से और खून पसीने की कमाई से घर बनाए। तो घरों का नक्शा इस तरह है सबसे पहले आता है एक बड़ा सा गेट । उसके बाद इतनी जगह के कार, मोटर साइकिल और अन्य व्हीकल खड़े हो सके। यह सब व्हीकल खड़े करने के बाद अगर जगह बच जाए तो ठीक नही तो केवल घर के मेन गेट से कमरे के दरवाजे तक गुजरने के लिए ही जगह बचती है।

उस बरामदे को जिस के चारो तरफ दीवारे है और ऊपर छत है। अगर बाहर की तरफ देखना हो तो मैन गेट से बाहर जाना पडे। बरामदे के एक तरफ आता है मेहमानो के लिए कमरा ओर उसके बाद लाबी , दो कमरे,  एक रसोई घर। पीछे की तरफ शौचालय और स्नान घर बने हुए । हमारे मुहल्ले मे सभी घर चारो तरफ से बंद है मानो जैसे एक बंद डिब्बा । अगर हमे ताजी हवा मे घूमना हो या फिर बारिश का मजा लेना हो तो हमे या तो बाहर गली मे जाना पडता है या फिर छत पर जाना पडता है।

             हमारे मुहल्ले मे सभी की शिकायत रहती है कि घर के आगे और पीछे की तरफ आंगन होना चाहिए , ताकि बच्चे खेल कूद सके। हमारे पडोसी का तो इतना बड़ा घर है फिर भी वो कहता है कि ऊपर दो कमरे ओर बनाने है। मुहल्ले मे कई लोगो को तो अपने घरो के नक्शे ही नही पसन्द। एक ओर मजेदार मुहल्ले मे 8 10 ऐसे भी है जो बहुत ही ज्यादा बड़े, महल जैसे । पर उनमे दो दो जन ही रहते है।

एक दिन जब मे सैर करने गया । उस छोटे से घर के जो रास्ते मे आता है , के सभी लोग घर के बाहर बैठे हुए थे ।
अंकल ने मुझे रोक लिया और हाल चाल पूछने लगे। वहां पर आंटी भी बैठी थी तो उन्होंने मुझे से पूछ लिया कि तुम्हारा किस तरफ है । मैंने बताया कि पीछे की तरफ है । तो आंटी बोलने लगी " अरे वाह! वहां तो घर ही बड़े सुन्दर है । बड़े बड़े ओर पूरे बंद । ना अंदर बारिश जाने का डर, ना ज्यादा
धूप जाने का डर । हमारा घर देखो तेज धूप पड़ती है। बरामदे मे बारिश का पानी खड़ा हो जाता है । बच्चे सारा दिन मिट्टी मे खेलते रहते है।" आंटी की इन बातो ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।

इंसान के पास कम हो या ज्यादा,  इंसान कभी भी किसी भी चीज से जल्दी संतुष्ट नही हो सकता ।

बेरोजगारी एक बिमारी | Berozgari Ek Bimari

बेरोजगारी समाज मे एक बहुत भयानक बिमारी है। यह किसी भी देश को अंदर ही अंदर से खोखला कर देती है। बेरोजगारी के अनेको कारण हो सकते है। बेरोजगारी दर सत् प्रतिशत तो कभी मिटती नही। अगर यह एक निश्चित दर से आगे बढ़ जाए तो गम्भीर समस्या बन जाती है। हमारे देश मे करोड़ो लोग ऐसे है जिनका गुजारा एक निश्चित आमदन से होता है। यह निश्चित आमदन किसी भी तरीके की हो सकती है जैसे फैक्टरी मे मजदूरी करना आदि ।

  इसी से संबंधित छोटी सी कहानी मे आपको सुनाने जा रहा हू। सोहन जो कि दसवीं पास है। गरीब होने के कारण वह आगे पढ़ ना सका। उसके पिता जी गांव के पास वाले शहर मे मजदूरी का काम करते है। सोहन भी उसी फैक्टरी मे काम करने लगा। मजबूरी देखिए, दसवीं पास होने पर भी उसे फैक्टरी मे मजदूरी का काम करना पढ़ रहा है। उसे और कही अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नही मिली तो उस ने घर चलाने के लिए मजबूरी मे यह काम कर लिया ।

दोनो बाप और बेटा एक ही फैक्टरी मे काम करते थे। दोनो के काम करते हुए भी घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल रहा है। क्योंकि घर मे और भी दो छोटे भाई बहन रहते है। वह दोनो पढ़ रहे है। आजकल हर चीज महंगी हो गई है। पढ़ाई से लेकर खाने पीने की वस्तुओ सब महंगी हो चुकी है। अगर घर मे कोई बिमारी हो जाए तो उसके इलाज का खर्च अलग से। इतनी महंगाई मे दोनो की कमाई से भी घर चलाना मुश्किल हो रहा था।

मुश्किल से ही सही उस फैक्टरी से उनके परिवार का पालन पोषण चल रहा था। दोनो उस फैक्टरी मे बढ़ी मेहनत से कमाई कर रहे है। एक दिन अचानक उस फैक्टरी से सारे मजदूरो और अन्य कर्मचारियो को छुट्टी दे दी गई। सभी कर्मचारी और मजदूर हैरान थे। पूछने पर फैक्टरी के मालिक ने कहा कि पीछे से कच्चा माल नही आ रहा तब तक फैक्टरी बंद रहेगी। सोहन और उसके पिता के लिए तो अब और मुश्किल हो गया था।

   कई दिन बीत गए थे लेकिन अभी तक वो फैक्टरी नही खुली। सभी कर्मचारी और मजदूर समझ गए थे कि अब यह फैक्टरी नही खुलने वाली। हजारो परिवारो का पालन पोषण  अब बहुत मुश्किल से चलने वाला था। दूसरी कोई नौकरी ढूंढना भी बड़ी मुश्किल था। सोहन और उसके पिता को घर पर बैठे हुए एक महीने से ऊपर हो गया था। अब उन्हे घर खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा। ऐसे ही बहुत सारे मजदूरो को भी कर्ज लेना पड़ा ।

इस कहानी से यह तथ्य निकल कर सामने आता है कि बेरोजगारी कैसे समाज के ढांचे को प्रभावित करती है। परिवार के किसी एक सदस्य को रोजगार मिलने से उस परिवार का पालन पोषण हो जाता है। अगर उसी सदस्य का रोजगार चला जाए और वह दो तीन महीने के लिए घर पर बैठ जाए तो गुजारा बहुत मुश्किल से चलता है। वह परिवार कर्ज के नीचे दब जाता है और उससे बाहर निकलना बढ़ी मुश्किल होता है।

कर्ज के इलावा समाज मे और भी बुराईयां फैल जाती है। जैसे अगर कोई व्यक्ति अधिक देर तक बेरोजगार रह जाए तो वह बुरी संगति मे फंस जाता है। वह पैसे कमाने के लिए गलत साधनो का प्रयोग करने लग जाता है। जैसे चोरी करना, जुआ खेलना और लोगो को धोखा देकर पेसै ठगना। इन सभी चीजों से आमदन तो होती नही ,व्यक्ति मुसाबित मे फंस जाता है ।


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