सुलझी हुई बातें | हिन्दी कहानी | Hindi Kahani
जीवन की कठिनाईयां और जीवन जीने की चाह लोगो को इतना मजबूत कर देती है यह उनकी बातों से भी झलकने लगता है। ऊँचे विचार और सुलझी हुई सोच, यह जरूरी नही कि पढ़े लिखे लोगो के दिमाग मे ही आए। सोच, विचार यह सब जीवन ही सिखाता है। ऐसा मुझे तब महसूस हुआ जब मैंने अपने घर पर काम कर रहे मजदूर की बातें सुनी।
बात उन दिनो की है जब हमारे घर मे नया कमरा बनाने के लिए मिस्त्री और मजदूर काम कर रहे थे। रोज के रोज उनका काम पे आना और अपने काम के प्रति उनका लगाव देख के मे बहुत खुश था। उन दिनो गर्मी अपनी पूरी चरम सीमा पर थी। लेकिन फिर भी मिस्त्री और मजदूर अपनी थकावट दूर करने के लिए दो टाईम चाय पिया करते थे। मैं अक्सर उन से बातें करता हुआ मजाक मजाक मे कुछ ना कुछ बोल देता था। वो कभी भी गुस्सा नही करते थे और इतनी गर्मी मे भी अपना स्वभाव ठंडा रखते थे।
एक दिन बहुत ज्यादा गर्मी थी। एक मजदूर ईंटे उठा रहा था तो मैंने उस से पूछ लिया कि भाई इतनी गर्मी मे तुम लोग काम कैसे कर लेते हो । तो उसने बड़ी ही सादगी से मुझे जबाब दिया कि जैसे सूरज खुद जलकर पूरी दुनिया को रोशनी देता है उसी प्रकार हमे अपने परिवार को पालने के लिए कढ़ी मेहनत की आग मे जलना पड़ता है। यह बात सुनकर मैं एक दम हैरान रह गया ।
मैंने उसे कहा कि तुम बहुत पढे लिखे लगते हो जो इतनी सुलझी हुई बात कर रहे हो। उसने बताया कि वो सिर्फ दसवीं तक पढ़ा है। यह बात मुझे जीवन भर याद रहेगी। तो दोस्तो कुछ बढि़या बाते सीखने के लिए जरूरी नही कि हम बहुत सारी किताबे पढ़े, हम अपने आस पास काम कर रहे लोगो से भी बहुत कुछ सीख सकते है।
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