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Wednesday, May 27, 2020

तेरी मोहब्बत || Teri Mohhabat || Hindi Shayari

एक अजब सा खिंचाव था तेरे आंखो के समंदर मे,
जो मेरी सोच की नदी को हमेशा तेरी तरफ मोड़ के रखता था ।
पर इस नदी को प्यार के समंदर से मिला ना पाया मैं
तेरी खामोशी  के पीछे जो मोहब्बत थी
तब उसे समझ क्यों नही पाया मैं।

मेरे प्यार की बेकरारी मेरे चेहरे से झलकती थी।
फिर लफ्जों ने क्यों ये बेकरारी बयान ना की।
पर ये तो खता भी मेरी ही थी,
जो तुम से प्यार का इजहार ना कर पाया मैं।
तेरी खामोशी  के पीछे जो मोहब्बत थी
तब उसे समझ क्यों नही पाया मैं।

हमसफर के लिए जो लाजिम होता है वो सब था तुझ मे
वो शराफत, नजाकत, दीवानापन, मासूमियत और थोड़ी शरारत भी थी तुझ मे।
फिर मोहब्बत की दुनिया बसाने के लिए, तुझे क्यो नही चुन पाया मैं।
तेरी खामोशी  के पीछे जो मोहब्बत थी
तब उसे समझ क्यों नही पाया मैं।

वो रातें याद है मुझे जब दोनो चांद तक प्यार का पैगाम पहुंचाया करते थे।
और तारे जोड़ जोड़ एक दूसरे का नाम लिखवाया करते थे।
पर वो सब चांद सितारे , तेरे  माथे पर नही सजा पाया मैं।
तेरी खामोशी  के पीछे जो मोहब्बत थी
तब उसे समझ क्यों नही पाया मैं।

मैंने कोई कसर नही छोडी अपने प्यार को दबाने मे और झूठा दिखलाने मे।
फिर भी तू कई सालों तक मेरा इंतज़ार करती रही।
लेकिन, जब से तेरे सच्चे इश्क का अहसास हो रहा है
एक पल भी ठीक से जी नही पाया मैं।
तेरी खामोशी  के पीछे जो मोहब्बत थी
तब उसे समझ क्यों नही पाया मैं।

                            Written by Rashpal Singh


किस्मत पर भरोसा मत करो यारो..
किस्मत पतंगो की तरह होती है।
ऊंचाई पर जा कर जब कटती है तो..
खंभो मे अटकी दिखाई देती है ।


खुशियां यू ही नही मिलती यारो
बेखबर रहना पड़ता है दुनियादारी से ।


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